✍️ बंगाल के गवर्नर-जनरल (1774-1833)
📌 वारेन हेस्टिंग्स (1774-1785)
📝 वारेन हेस्टिंग्स (1732 – 1818) : 1772 में फोर्ट विलियम (बंगाल) के प्रेसीडेंसी के पहले गवर्नर और 1774 में बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल बने, जब तक कि उन्होंने 1785 में इस्तीफा नहीं दिया।
➽ इसने राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकत्ता लाया ।
➽ 1772 ई. में इसने प्रत्येक जिले में एक फौजीदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की।
➽ रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 के द्वारा बंगाल की दोहरी सरकार को समाप्त कर दिया।
➽ 1781 का अधिनियम, जिसके तहत गवर्नर-जनरल-इन-काउंसिल और कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय के बीच अधिकार क्षेत्र की शक्तियों को स्पष्ट रूप से विभाजित किया गया था।
➽ 1774 में रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 के माध्यम से गवर्नर-जनरल बने।
➽ चार्ल्स विल्किंस द्वारा ‘गीता’ के पहले अंग्रेजी अनुवाद का परिचय लिखा।
➽ 1781 में, उन्होंने इस्लामी अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कलकत्ता में प्रथम मदरसा की स्थापना की।
➽ इसी के समय में 1784 में सर विलियम जोन्स ने द एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना की।
➽ इसने मुग़ल सम्राट को मिलने वाला 26 लाख रूपये की वार्षिक पेंशन बंद करवा दी।
➽ इसी के समय में 1780 ई. में भारत का पहला समाचार-पत्र ‘द बंगाल गज़ट’ का प्रकाशन ‘जेम्स ऑगस्टस हिक्की’ ने किया था।
➽ 1774 का रोहिल्ला युद्ध।
➽ पिट्स इंडिया एक्ट 1784।
➽ 1775-82 में प्रथम मराठा युद्ध और 1782 में सालबाई की संधि।
➽ 1780-84 में दूसरा मैसूर युद्ध।
➽ पहला आंग्ल-मराठा युद्ध (1776-82): दूसरा आंग्ल-मैसूर युद्ध (1780-84)।
➽ उन्होंने 1785 में बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी के गठन में सर विलियम जोन्स का समर्थन किया।
➽ उनके गलत कामों के लिए इंग्लैंड में उन पर महाभियोग चलाया गया था।
बंगाल के गवर्नर-जनरल (1774-1833)
📌 लॉर्ड कार्नवालिस (1786–93)
➽ इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
➽ कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिधांत पर आधारित था।
➽ कंपनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया।
➽ निचली अदालतों और अपीलीय अदालतों की स्थापना।
➽ 1793 में बिहार और बंगाल में स्थायी बंदोबस्त लागू किया ।
➽ भारत में सिविल सेवाओं का परिचय।
➽ कॉर्नवालिस को भारत में नागरिक सेवा का जनक मन जाता है।
➽ तीसरा आंग्ल-मैसूर युद्ध (टीपू की हार और सेरिनगपटनम की संधि, 1792)।
📌 सर जॉन शोर (1793-98)
➽ गैर-हस्तक्षेप की नीति
➽ 1793 का चार्टर अधिनियम
निजाम और मराठों के बीच खरदा की लड़ाई (1795)।
📌 लॉर्ड वेलेजली (1798-1805)
➽ उन्होंने सहायक संधि की नीति अपनाई- भारतीय शासकों को नियंत्रण में रखने और अंग्रेजों को सर्वोच्च शक्ति बनाने की प्रणाली। भारत में सहायक संधि का प्रयोग वेलेजली से पूर्व फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले ने किया था। इस प्रणाली ने कंपनी के प्रभुत्व के विस्तार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कंपनी की संपत्ति में कई नए क्षेत्र जोड़े गए।
➽ इसमें चार चरण थे: – पहले चरण में, कंपनी ने अपने सैनिकों को मित्र भारतीय राजकुमार को उसके युद्धों में सहायता करने के लिए उधार देने का बीड़ा उठाया।
➽ दूसरे चरण में, कंपनी ने एक भारतीय सहयोगी की सहायता से अपने स्वयं के खाते में सैनिकों को मैदान में भेजा, जिसने एक सामान्य सहयोगी बनाया।
➽ अगले चरण में पहुंच गया जब भारतीय सहयोगी पुरुषों की आपूर्ति करने के लिए नहीं बल्कि धन की आपूर्ति करने वाला था। कंपनी ने अंग्रेजी अधिकारियों के अधीन एक सेना को बढ़ाने, प्रशिक्षित करने और लैस करने का बीड़ा उठाया और इन सैनिकों की लागत के लिए धन की राशि प्राप्त करने पर सहयोगी को एक निश्चित संख्या में सैनिकों को प्रदान किया।
➽ अंतिम चरण अगला तार्किक कदम था। कंपनी ने एक भारतीय सहयोगी के क्षेत्रों की रक्षा करने का बीड़ा उठाया और उस उद्देश्य के लिए राज्य के क्षेत्र में एक सहायक बल तैनात किया। भारतीय सहयोगी को पैसे का भुगतान नहीं करने के लिए कहा गया था, लेकिन राजस्व से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था, जिसमें से सहायक बल के खर्च को पूरा किया जाना था।
➽ इस नीति को स्वीकार करने वाले राज्यों में हैदराबाद के निजाम, मैसूर के शासक, तंजौर के राजा, अवध के नवाब, पेशवा, बरार के भोंसले राजा, सिंधिया, जोधपुर, जयपुर के राजपूत आदि थे।
➽ कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना (नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए)।
➽ 1801 में मद्रास प्रेसीडेंसी का गठन।
➽ चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799) – टीपू सुल्तान की हार और मृत्यु; दूसरा आंग्ल-मराठा युद्ध (1803–05) – सिंधिया, भोंसले और होल्कर की हार; बेसिन की संधि (1802)।
➽ यह स्वयं को बंगाल का शेर कहा करता था।
📌 जॉर्ज वार्लो (1805-1807)
➽ वेल्लोर विद्रोह (1806)।
📌 लॉर्ड मिंटो प्रथम (1807-1813)
➽ उन्होंने महाराजा रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि (1809) की।
➽ 1813 का चार्टर एक्ट पारित किया गया।
📌 लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-1823)
➽ अहस्तक्षेप की नीति को समाप्त कर हस्तक्षेप और युद्ध की नीति अपनाई।
➽ 1818 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी का निर्माण।
➽ पिंडारियों के साथ संघर्ष (1817-1818)
➽ मद्रास के गवर्नर थॉमस मुनरो द्वारा रैयतवाड़ी व्यवस्था की स्थापना (1820)।
➽ एंग्लो-नेपाल युद्ध (1814-16) और सगौली की संधि, 1816।
➽ तीसरा मराठा युद्ध (1817-18) और मराठा संघ का विघटन। हेस्टिंग्स ने पेशवा और सिंधिया के साथ अपमानजनक संधियाँ कीं।
📌 लॉर्ड एमहर्स्ट (1823-28)
➽ प्रथम आंग्ल बर्मी युद्ध (1824-26)।
➽ 1826 ई. में बर्मा और अंग्रेजों के बीच यान्डबू की संधि हुई।
➽ मलय प्रायद्वीप में प्रदेशों का अधिग्रहण; भरतपुर पर कब्जा (1826)।
📌 लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828–33)
➽ भारत के सबसे उदार और प्रबुद्ध गवर्नर-जनरल; भारत में आधुनिक पश्चिमी शिक्षा का जनक माना जाता है
उन्होंने राजा राम मोहन राय की मदद से 1829 ई. में सती-प्रथा को समाप्त कर दिया।
➽ कर्नल सलीमन की सहायता से 1830 ई. तक ठगी प्रथा को समाप्त कर दिया।
➽ मैसूर का विलय (1831)।
➽ 1833 का चार्टर अधिनियम पारित किया, जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि कंपनी के किसी भी भारतीय विषय को उसके धर्म, जन्म स्थान, वंश और रंग के आधार पर पद धारण करने से वंचित नहीं किया जाएगा।
➽ मैकाले समिति की सिफारिश पर भारत में अंग्रेजी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
➽ कलकत्ता में प्रथम मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।