शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

हाइपरसोनिक स्पीड औरसुरपरसोनिक स्पीड

पॉपुलर मेकैनिक्स के अनुसार विज्ञान की भाषा में हाइपरसोनिक को 'सुपरसोनिक ऑन स्टेरायड्स' कहा जाता है यानी तेज़ गति से भी अधिक तेज़ गति.

सुपरसोनिक का मतलब होता है ध्वनि की गति से तेज़ (माक-1). और हाइपरसोनिक स्पीड का मतलब है सुपरसोनिक से भी कम से कम पांच गुना अधिक की गति. इसकी गति को माक-5 कहते हैं, यानी आवाज़ की गति से पांच गुना ज़्यादा की स्पीड.

हाइपरसोनिक स्पीड वो गति होती है जहां तेज़ी से जा रही वस्तु के आसपास की हवा में मौजूद अणु के मॉलिक्यूल भी टूट कर बिखरने लगते हैं.

गुरुवार, 10 सितंबर 2020

विदेश मुद्रा भंडार?

  विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें.

इससे व्यापार संतुलन बना रहता है. यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं. विदेशी मुद्रा भंडार में ज्यादातर डॉलर और कुछ हद तक यूरो भी रखा जाता है.

डॉलर इसलिए रखा जाता है क्योंकि ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य मुद्रा है. विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है. इसमें चार चीजें शामिल होती हैं.

विदेशी परिसंपत्तियां जैसे विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड आदि विदेशी मुद्रा के रूप में रखे जाते हैं. इसके अलावा सोना, आईएमएफ के पास रिज़र्व ट्रेंच और विशेष आहरण अधिकार (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स).

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार डॉलर में होता है.इसके लिए देश में विदेशी मुद्रा का भंडार होना ज़रूरी है.

सबसे ज़्यादा विदेशी मुद्रा भंडार

चीन के पास इस समय दुनिया में सबसे ज़्यादा 3.15 ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. यूएस बॉन्ड्स रखने के मामले में चीन दुनिया का दूसरा बड़ा देश है. 

बुधवार, 9 सितंबर 2020

स्क्रैमजेट तकनीक

 न्यूटन की गति के सिद्धांत का तीसरा सिद्धांत कहता है कि 'प्रत्येक क्रिया के बदले हमेशा और विपरीत प्रतिक्रिया होती है.' इसका मतलब ये कि रॉकेट के भीतर जब ईंधन जलाया जाता है और उसकी गैस बाहर निकलती तो इसकी प्रतिक्रिया स्परूप रॉकेट (व्हीकल) को एक तेज धक्का लगता है जो उसकी स्पीड को बढ़ा देता है. इसी को जेट प्रोपल्शन कहते हैं.

शुरूआती दौर में जो जेट बने उनमें ऑक्सीजन और हाइड्रोजन मिला कर बने ईंधन को जलाया जाता है और इसके लिए रॉकेट के भीतर ईंधन रखना होता है.

1960 के दशक में एक ऐसी तकनीक के बारे में सोचा गया जिसमें ईंधन जलाने के लिए ऑक्सीजन रॉकेट में न रख कर वायुमंडल से लिया जा सके. इस तकनीक को रैमजेट तकनीक कहा गया.

1991 तक पहुंचते-पहुंचते तत्कालीन सोवियत संघ ने साबित किया कि अधिक स्पीड पर ऑक्सीजन बाहर से न लेकर सोनिक स्पीड तक पहुंचा जा सकता है लेकिन सुपrसोनिक स्पीड तक पहुंचना मश्किल होता है, इसके लिए हमें स्क्रैमजेट तकनीक की ज़रूरत पड़ेगी.

इस नई तकनीक में रॉकेट वायुमंडल से ऑक्सीजन लेता है और अपनी स्पीड बढ़ाता है. इसका लाभ ये होता है कि रॉकेट में दोगुना ईंधन भरने की ज़रूरत नहीं रह जाती.

सोवियत संघ के परीक्षण के कई सालों बाद अमरीका ने इस तकनीक का सफल परीक्षण किया जिसके बाद चीन ने इसका सफल परीक्षण किया है.

ऐसे में भारत स्क्रैमजेट तकनीक का इस्तेमाल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है.

इस तकनीक का इस्तेमाल रॉकेट में और मिसाइल में किया जा सकता है. किसी भी मिसाइल में तीन बातें अहम होती हैं - 

गलवान घाटी, अक्साई चीन, कालापानी, लिपुलेख, नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा.

 

गलवान घाटी, अक्साई चीन, कालापानी, लिपुलेख, नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा.

ये वो शब्द हैं जिनका ज़िक्र अमूमन भारत-चीन, भारत-नेपाल या फिर भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद के साथ अक्सर होता है.

भारत की थल सीमा (लैंड बॉर्डर) की कुल लंबाई 15,106.7 किलोमीटर है जो कुल सात देशों से लगती है. इसके अलावा 7516.6 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा है.

भारत सरकार के मुताबिक़ ये सात देश हैं, बांग्लादेश (4,096.7 किमी), चीन (3,488 किमी), पाकिस्तान (3,323 किमी), नेपाल (1,751 किमी), म्यांमार (1,643 किमी), भूटान (699 किमी) और अफ़ग़ानिस्तान (106 किमी).

भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है. 

ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है - पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश.

भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चीन पर अपना दावा करता है, जो फ़िलहाल चीन के नियंत्रण में है. भारत के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

वहीं पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है. चीन कहता है कि ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. चीन तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच की मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता है. वो अक्साई चीन पर भारत के दावे को भी ख़ारिज करता है. 

इन विवादों की वजह से दोनों देशों के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हो सका. हालांकि यथास्थिति बनाए रखने के लिए लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी टर्म का इस्तेमाल किया जाने लगा. हालांकि अभी ये भी स्पष्ट नहीं है. दोनों देश अपनी अलग-अलग लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल बताते हैं.

भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा

1947-48 में भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर पहला युद्ध हुआ था जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में युद्धविराम समझौता हुआ. इसके तहत एक युद्धविराम सीमा रेखा तय हुई, जिसके मुताबिक़ जम्मू और कश्मीर का लगभग एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के पास रहा जिसे पाकिस्तान 'आज़ाद कश्मीर' कहता है. 


लगभग दो तिहाई हिस्सा भारत के पास है जिसमें जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख शामिल हैं. 1972 के युद्ध के बाद शिमला समझौता हुआ जिसके तहत युद्धविराम रेखा को 'नियंत्रण रेखा' का नाम दिया गया. भारत और पाकिस्तान के बीच ये नियंत्रण रेखा 740 किलोमीटर लंबी है. 

1971 के युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान टूट कर बांग्लादेश बन गया. उस वक़्त कश्मीर में कई जगहों पर लड़ाई हुई और नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने एक-दूसरे की चौकियों पर नियंत्रण किया.  भारत को करीब तीन सौ वर्ग मील ज़मीन मिली. यह नियंत्रण रेखा के उत्तरी हिस्से में लद्दाख इलाक़े में थी. 

1972 के शिमला समझौते और शांति बातचीत के बात नियंत्रण रेखा दोबारा स्थापित हुई. दोनो पक्षों ने ये माना कि जब तक आपसी बातचीत से मसला न सुलझ जाए तब तक यथास्थिति बहाल रखी जाए. यह प्रक्रिया लंबी खिंची. फ़ील्ड कमांडरों ने पांच महीनों में करीब बीस नक्शे एक-दूसरे को दिए. आख़िरकार समझौता हुआ. 

इसके अलावा भारत पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा राजस्थान, गुजरात, जम्मू और गुजरात से लगती है.

सियाचिन ग्लेशियरः एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन

सियाचिन ग्लेशियर के इलाके में भारत-पाकिस्तान की स्थिति 'एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन' से तय होती है. 126.2 किलोमीटर लंबी 'एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन' की रखवाली भारतीय सेना करती है. 

भारत-भूटान सीमा-

भूटान के साथ लगने वाली भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा 699 किलोमीटर लंबी है. सशस्त्र सीमा बल इसकी सुरक्षा करता है. भारत के सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल राज्य की सीमा भूटान से लगती है.

भारत-नेपाल सीमा-

उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम की सीमाएं नेपाल के साथ लगती है. भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 1751 किलोमीटर है और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सशस्त्र सीमा बल के पास ही है. दोनों देशों की सरहद ज़्यादातर खुली हुई और आड़ी-तिरछी भी है. 

भारत-म्यांमार सीमा-

म्यांमार के साथ भारत की 1643 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है. इसमें 171 किलोमीटर लंबी सीमा की हदबंदी का काम नहीं हुआ है.
म्यांमार सीमा की सुरक्षा का ज़िम्मा असम राइफल्स के पास है

भारत-बांग्लादेश सीमा-

4096.7 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पहाड़ों, मैदानों, जंगलों और नदियों से होकर गुजरती है. ये सरहदी इलाके सघन आबादी वाले हैं और इसकी सुरक्षा का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) के पास है. 
भारत-बांग्लादेश सीमा पर अंतरराष्ट्रीय सीमा के अंदर केवल एक किलोमीटर तक के इलाके में बीएसएफ़ अपनी कार्रवाई कर सकता है. इसके बाद स्थानीय पुलिस का अधिकार क्षेत्र शुरू हो जाता है.

रविवार, 6 सितंबर 2020

पोखरण: भारत के पहले परमाणु परीक्षण की पूरी कहानी...

 पोखरण: भारत के पहले परमाणु परीक्षण की पूरी कहानी..

Anil Kakodar, nuclear scientist, was director of Bhabha Atomic Research Centre when India conducted nuclear tests in Pokhran in May 1998. He had been actively involved in the nuclear tests of 1974 as well. From 2000, he was Secretary, Department of Atomic Energy, and Chairman of Atomic Energy Commission, posts he held for nine years; it was during his time as AEC chairman that the civil nuclear cooperation agreement was negotiated

If you want to know more about pokharan, click here.. (In hindi) 

मंगलवार, 1 सितंबर 2020

Lat. Mr. Pranab Mukherjee (former president of India) 1.The Turbulent Years:

 

एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले 84 वर्ष के मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव मिराटी में हुआ था.मृत्यु 31 अगस्त 2020 दिल्ली India के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न, पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया गया है!

उनके पिता कांग्रेस पार्टी के एक स्थानीय नेता भी थे और स्वतंत्रता सेनानी भी. उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री और साथ ही साथ कोलकाता विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री प्राप्त की. फिर उन्होंने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत कॉलेज के शिक्षक और पत्रकार के रूप में की.

1969 में प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक कैरियर 34 साल की उम्र में राज्य सभा के सदस्य बनने से शुरू हुआ. इंदिरा गाँधी की निगरानी में उनका सियासी सफ़र तेज़ी से आगे बढ़ने लगा जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

अपनी पुस्तक "The Coaltion Years 1995-2012 (द कोएलिशन इयर्स 1995-2012) में इस बात को स्वीकार करते हैं और कहते हैं, "प्रचलित अपेक्षा ये थी कि सोनिया गांधी के मना करने के बाद मैं प्रधानमंत्री के लिए अगली पसंद बनूंगा."

प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री न बन सके लेकिन रक्षा और वित्त मंत्री की हैसियत से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के क़रीबी सहयोगी बने रहे.

Pranab Mukherjee is an Indian politician who was the 13th President of India. A man of unparalleled experience in governance, he has the rare distinction of having served at different times as Foreign, Defence, Commerce and Finance Minister.      

The list of books written by Late Mr. Pranab Mukherjee (former president of India) 

1.The Turbulent Years: 1980 - 1996

2.The Dramatic Decade: The Indira Gandhi Years

3.Congress and the Making of the Indian Nation (Set of 2 Vols)
4.Thoughts and Reflections
5.Pranab Mukherjee Indira Gandhi Ka Prabhavshali Dashak HB
6.A Centenary History of the Indian National Congress - Vol. V: Volume-V: 1964-1984
7.The Coalition Years

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